लेखनी कहानी -07-Feb-2023 तेरा होने लगा हूं
गुलाबी होठों से छूकर जो उसने दिया गुलाब
महक से उसकी मैं सुधबुध खोने लगा हूं
पिलाई उसने मस्ती में जो आंखों से शराब
नशे के सागर में खुद को डुबोने लगा हूं
बसंती मौसम में निखर आया उसका शबाब
उसे पाने के नये नये सपने संजोने लगा हूं
हुस्न ओ जमाल देखकर मैं हो गया हूं बेताब
सबके सामने कहता हूं कि तेरा होने लगा हूं
श्री हरि
7.2.23
Gunjan Kamal
09-Feb-2023 08:02 PM
बहुत खूब
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Hari Shanker Goyal "Hari"
10-Feb-2023 06:10 PM
धन्यवाद मैम 💐💐🙏🙏
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सीताराम साहू 'निर्मल'
07-Feb-2023 06:48 PM
👌👏
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Hari Shanker Goyal "Hari"
07-Feb-2023 10:38 PM
💐💐🙏🙏
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Renu
07-Feb-2023 04:30 PM
👍👍🌺
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Hari Shanker Goyal "Hari"
07-Feb-2023 05:49 PM
💐💐🙏🙏
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